देहरादून- उत्तराखण्ड में विधानसभा चुनाव की तारीख का ऐलान होते ही पार्टीयों में टिकट बंटवारे को लेकर जबरदस्त घमासान मचा हुआ है। बात करें रुद्रप्रयाग विधानसभा की तो यहां भी टिकट को लेकर मारामारी मची हुई है। यहां कांग्रेस पार्टी में कई दिग्गज अपनी दावेदारी ठोक रहे हैं…जिसमें सबसे पहले नाम आता है पूर्व कैबिनेट मंत्री मातबर सिंह कंडारी, पूर्व जिला पंचायत अध्यक्ष लक्ष्मी राणा, पूर्व प्रदेश महामंत्री वीरेंद्र बुटोला, पूर्व छात्र संघ अध्यक्ष अंकुर रोथाण, जखोली ब्लॉक प्रमुख प्रदीप थपलियाल, पूर्व ज्येष्ठ प्रमुख अर्जून सिंह गहरवार, समेत कई लोग टिकट की दोड़ में शामिल है। लेकिन टिकट को लेकर पूर्व कैबिनेट मंत्री मातबर सिंह कंडारी और पूर्व जिला पंचायत अध्यक्ष लक्ष्मी राणा के बीच ही कड़ी टक्कर मानी जा रही है। आपको बता दें कि 2017 में भाजपा से टिकट न मिलने के कारण मातबर सिंह कंड़ारी के बेटे राजीव कंड़ारी ने 28 जनवरी 2017 को कांग्रेस का दामन थाम लिया था और तब से लगातार कांग्रेस पार्टी में एक सक्रिय कार्यकर्ता के तौर पर कार्य करके पार्टी को मजबूत कर रहे हैं और लगातार पांच सालों से जनपद रुद्रप्रयाग में घर-घर जाकर संपर्क करने में जुटे हुए हैं। वहीं मातबर सिंह कंड़ारी कई बार मंच से कह चूके हैं कि मुझे जनता चुनाव लड़वा रही है, मैं खुद चुनाव नहीं लड़ रहा हूं..आप को बता दें कि मातबर सिंह कंड़ारी की हमेशा से रुद्रप्रयाग जनपद में लोकप्रिय छवि रही है और यहीं कारण है कि उम्र के इस पड़ाव में मातबर सिंह कंड़ारी गांव-गांव जाकर लोगों में राजनीतिक जोश जगाने का काम कर रहे हैं। वहीं अपने शासनकाल में मातबर सिंह कंड़ारी ने रुद्रप्रयाग जनपद के गांव तक सड़कों का जाल बिछाने का कार्य किया और जखोली ब्लॉँक को विकास की नई धारा से जोड़ा है। पूर्व कैबिनेट मंत्री मातबर सिंह कंड़ारी की जखोली ब्लॉँक के 102 बूथों पर मजबूत पकड़ मानी जाती है। आपको बता दें की 2012 में कद्दावर नेता और साड़ू भाई डॉ हरक सिंह रावत के साथ चुनाव हार गए थे लेकिन 2022 में मातबर सिंह कंड़ारी की रुद्रप्रयाग विधानसभा सीट पर मजबूत दावेदारी इसलिए मानी जा रही है कि कांग्रेस हाईकमान उम्र के पड़ाव को देखते हुए कंडारी को एक मौका दे सकती है और रुद्रप्रयाग की जनता एक बार फिर उनको एक और मौका विधायक बनने का दे सकती है।

मातबर सिंह कंड़ारी के 35 वर्षों की राजनीति का सफर में किए गए महत्वपूर्ण और ऐतिहासिक कार्य

• वर्ष 1982 से 1987-प्रथम बार विकास खण्ड जखोली टिहरी गढ़वाल के ब्लॉक प्रमुख पद पर विजयी होकर विकास के कार्य किया।
• वर्ष 1987 से 1991- दूसरीबार बार विकास खण्ड जखोली टिहरी गढ़वाल के ब्लॉक प्रमुख पद पर विजयी हुए और विकास कार्य किया ।
• वर्ष 1991- विधानसभा देवप्रयाग जिला टिहरी गढ़वाल से प्रथम बार विधायक, निवार्चित हुए मातबर सिंह कंड़ारी।
• वर्ष 1993- विधानसभा देवप्रयाग जिला टिहरी गढ़वाल से दूसरी बार विधायक निवार्चित हुए और वर्ष 1996- विधानसभा देवप्रयाग जिला टिहरी गढ़वाल से तीसरी बार विधायक निवार्चित हुआ। वहीं वर्ष 1997 से नवम्बर 2000 तक उत्तर प्रदेश सरकार में पर्वतीय विकास मंत्री स्वतंत्र प्रभार का दायित्व मिला।
• नवम्बर 2000 से 2002 तक उत्तराखण्ड सरकार में वन मंत्री के दायित्व का निर्वहन किया और वर्ष 2002 चौथी बार विधायक विधान सभा रूद्रप्रयाग, जिला रुद्रप्रयाग से निर्वाचित हुए।
• वर्ष 2002 से मार्च 2007 उत्तराखण्ड विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष का दायित्व निभाया.. और वर्ष 2007 से 6 मार्च 2012 तक पांचवी बार विधायक विधानसभा रूद्रप्रयाग जिला रुद्रप्रयाग से

मंत्री पद का दायित्व
• वर्ष 2007 से 6 मार्च 2012 तक सिंचाई, पेयजल, समाज कल्याण, खादी ग्रामोद्योग, शिक्षा, महिला सशक्तिकरण एवं बाल विकास मंत्री का दायित्व संभाला।
नया प्रयोग
• पर्वतीय विकास मंत्री के रूप में पर्वतीय क्षेत्र में पेयजल समस्या के निदान हेतु प्रथम बार हैण्ड पम्पों का निर्माण किया इससे क्षेत्रीय जनता को पेयजल की राहत मिली।
• सिंचाई मंत्री के रूप में पर्वतीय क्षेत्रों में नलकूप का निर्माण करवाया सिंचाई एवं पेयजल की सुविधा जनता को मिली।
• पर्वतीय विकास मंत्री के रूप में प्रत्येक विधान सभा क्षेत्र में पाँच इण्टरमीडिएट एवं पाँच हाई स्कूल, पाँच झूला पुल, पाँच आयुर्वेदिक अस्पतालों के निर्माण हेतु शासन से धनावंटन करवाया। यह निर्णय उत्तराखण्ड के लिए ऐतिहासिक रहा।
• नेता प्रतिपक्ष के रूप में उत्तराखण्ड विधान सभा सदस्य को सरकार से 2 इण्टर कालेज, 3 हाईस्कूल, महाविद्यालय, आईटीआई, राजकीय पॉलीटैक्निक कालेज दिलवायें। विपक्ष में रहते भी कई विकास कार्य करवाए।
• समाज कल्याण मंत्री के रूप में पेंशन धारकों को चैक द्वारा भुगतान को घर के पास के बैंक में करवाया।
• मंत्री के रूप में प्रत्येक जिले एवं ब्लॉक में जनता दर्शन कार्यक्रम चलाया गया। यह प्रयास सार्थक रहा।
प्रमुख उपलब्धियां रुचि
• लगातार 35 वर्षों का राजनितिक सफर
• जन सेवा में आनन्द, सर्वधर्म समभाव, भष्ट्राचार महगाई, बेरोजगारी के
प्रकाशित रचनायें
• मातबर सिंह कंड़ारी के विरहिणी गीति काव्य तथा ज्ञान अमृत प्रकाशित प्रकाशित हो चुके हैं। दो हिन्दी कविता पुस्तकें एवं एक अध्यात्मिक ज्ञान तथा 2 सदाचार की पुस्तके अप्रकाशित हैं।
अप्रकाशित पुस्तकें
जनता की आवाज एक स्वर में मेरे लिए प्रकट हो रही है। रूद्रप्रयाग की जनता मुझे जीताने के मूड में है।
मुझे भाजपा के 30 प्रतिशत वोट प्राप्त हो सकते हैं। मेरे आलवा कोई अन्य कांग्रेस प्रत्याशी सीट नहीं ला सकता है।
35 साल की राजनीति में कंडारी पर भ्रष्टाचार का मेरे पर कोई आरोप नहीं-कंडारी
इस बार कांग्रेस पार्टी मातबर सिंह कंडारी को मौका देती है तो रूद्रप्रयाग विधानसभा में कांग्रेस का विधायक बनना तय है वहीं सूत्रों की माने तो मातबर सिंह कंडारी का लगभग टिकट तय माना जा रहा है। और कई ग्राम प्रधान पूर्व ब्लाक प्रमुख मातबर सिंह कंडारी के समर्थन में दिख रहे हैं।लेकिन टिकट की लड़ाई लक्ष्मी राणा और मातबर सिंह कंड़ारी के बीच में है।