उत्तराखंड में महिला आरक्षण पर हाईकोर्ट की रोक के बाद उत्तराखंड की महिलाओं का रोष बढ़ते जा रहा है। देहरादून स्थित शहीद स्मारक में आयोजित बैठक में महिलाओं और युवाओं ने उत्तराखंड सरकार का इस फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट जाने के निर्णय पर आपत्ति जताई। युवा अभ्यर्थी शीतल ने कहा कि उत्तराखंड की आर्थिकी में सबसे ज्यादा योगदान राज्य की महिलाओं का है और उनको उनके हक से वंचित रखना उत्तराखंड की महिलाओं के मौलिक अधिकारों का हनन है। उत्तराखंड बेरोजगार संघ के अध्यक्ष बॉबी पंवार ने कहा कि सरकार को इस फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट जाने के बजाय विधानसभा में ही तत्काल रूप से अध्यादेश लाना चाहिए। वरिष्ठ राज्य आंदोलनकारी मनोज ध्यानी ने कहा कि उत्तराखंड राज्य का निर्माण महिलाओं के नेतृत्व की बदौलत मिला है। आरक्षण पर रोक उनको उनके अधिकार से वंचित कर रहा है जो बिल्कुल भी बर्दाश्त नही किया जाएगा। युवा उक्रांद के लूशुन टोडरिया ने कहा कि जब सरकार विधानसभा में अध्यादेश लाकर महिला आरक्षण को लागू कर सकती है तो सुप्रीम कोर्ट जाने का सवाल ही नही बनता। बैठक में अर्चना नेगी,तोषिता चौहान,वंदना,वैष्णवी,गणेश धामी,ह्रदयेश शाही आदि मौजूद थे।

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