Big breaking:रिस्पना किनारे बाढ़ क्षेत्र में बसी बस्तियों को हटाने का एनजीटी हटाने के निर्देश :चल सकता है बुल्डोजर, हरीश रावत ने सरकार को घेरा

रिस्पना किनारे बाढ़ क्षेत्र में बसी बस्तियों को हटाने का एनजीटी हटाने के निर्देश :चल सकता है बुल्डोजर, हरीश रावत ने सरकार को घेरा

electronics

 

 

रिस्पना किनारे बाढ़ क्षेत्र में बसी बस्तियों को लेकर निरंजन बागची ने एनजीटी में शिकायत की थी। इसका संज्ञान लेते हुए एनजीटी ने बस्तियां हटाने के आदेश दिए थे।

रिस्पना नदी के बाढ़ क्षेत्र में अवैध रूप से बसी झुग्गी बस्तियों को लेकर नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) ने सरकार को कड़ी कार्रवाई के निर्देश दिए हैं। मामले की अगली सुनवाई 13 फरवरी को होगी।

एनजीटी का निर्देश:

रिपोर्ट तलब: सचिव शहरी विकास, सचिव सिंचाई, डीएम देहरादून, नगर आयुक्त और एमडीडीए उपाध्यक्ष को व्यक्तिगत रूप से पेश होने के निर्देश।
बस्तियां हटाने के आदेश: एनजीटी ने कहा कि इस मामले में राज्य सरकार के कानून नहीं, बल्कि केंद्रीय पर्यावरण मंत्रालय का कानून लागू होगा।
अतिक्रमण चिह्नित: जिलाधिकारी द्वारा 89 अतिक्रमणों की पहचान की गई, जिनमें से 69 को हटाने की रिपोर्ट एनजीटी को पहले ही भेजी जा चुकी है।
सरकार की तैयारी
राज्य सरकार एनजीटी के आदेश का अध्ययन कर रही है और कानूनी पहलुओं पर विचार कर रही है। अधिकारियों ने संकेत दिया है कि आदेश के खिलाफ अपील दायर की जा सकती है।

ये भी पढ़ें:  देखें वीडियो:उत्तराखंड में तेज बारिश का कहर,कार समेत चार की जिंदगी लील गई नहर, तीन का चल रहा उपचार, सीएम धामी ने जताया दुख

पृष्ठभूमि
निरंजन बागची की शिकायत पर एनजीटी ने रिस्पना बाढ़ क्षेत्र में अवैध बस्तियों को हटाने का संज्ञान लिया। इस मामले ने निकाय चुनावों के दौरान मलिन बस्तियों के मुद्दे को और गर्मा दिया है।

एनजीटी ने पर्यावरण संरक्षण अधिनियम, 1986 के तहत प्रस्ताव तैयार करने और इसे लागू करने के निर्देश भी दिए हैं। मामले पर प्रशासनिक हलचल तेज हो गई है।

निकाय चुनावों में प्रमुख बनने वाले मलिन बस्तियों के मुद्दे के बीच नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) के एक आदेश से खलबली मच गया है। रिस्पना के बाढ़ क्षेत्र में बसी हुई झुग्गी बस्तियों को लेकर एनजीटी ने अगली सुनवाई पर सरकार से रिपोर्ट मांगी है।

ये भी पढ़ें:  अब पंचायत चुनाव पर लगा ग्रहण, चुनाव आयोग ने रद्द की आचार संहिता, कौन करवा रहा सीएम धामी की बार बार किरकिरी

इसके साथ ही सचिव शहरी विकास, सचिव सिंचाई, देहरादून डीएम समेत कई अफसरों को अगली सुनवाई में व्यक्तिगत पेश होने को कहा है। सरकार अब इस आदेश का अध्ययन कर रही है। रिस्पना किनारे बाढ़ क्षेत्र में बसी बस्तियों को लेकर निरंजन बागची ने एनजीटी में शिकायत की थी। इसका संज्ञान लेते हुए एनजीटी ने बस्तियां हटाने के आदेश दिए थे

इसके बाद जिलाधिकारी के स्तर से 89 अतिक्रमण चिह्नित करते हुए इनमें से 69 हटाने की रिपोर्ट एनजीटी को भेजी गई। उत्तराखंड प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने भी बाढ़ क्षेत्र को लेकर ई-मेल के माध्यम से जानकारी दी थी कि मामला सरकार के विधि विभाग के पास राय के लिए भेजा गया है लेकिन इसके बाद बोर्ड ने एनजीटी को कोई जवाब नहीं भेजा।

ये भी पढ़ें:  भागवत कथा के पहले दिन निकली कलशयात्रा

केंद्रीय पर्यावरण मंत्रालय का कानून लागू होगा

एनजीटी के संज्ञान में राज्य सरकार का मलिन बस्तियों संबंधी अध्यादेश भी आया है। इस पर एनजीटी ने माना है कि इस मामले में राज्य नहीं बल्कि केंद्रीय पर्यावरण मंत्रालय का कानून लागू होगा। एनजीटी के न्यायिक सदस्य जस्टिस अरुण कुमार त्यागी और विशेषज्ञ सदस्य डॉ. अफरोज अहमद की पीठ ने मुख्य सचिव को निर्देश दिए हैं, वे पर्यावरण संरक्षण अधिनियम 1986 रिस्पना किनारे का अतिक्रमण हटाने के लिए सरकार के सामने प्रस्ताव पेश करें।

एनजीटी ने मामले में सचिव शहरी विकास, सचिव सिंचाई, डीएम, नगर आयुक्त देहरादून, एमडीडीए उपाध्यक्ष को व्यक्तिगत पेश होने का आदेश दिया है। मामले में 13 फरवरी को अगली सुनवाई होगी….

वहीं वरिष्ठ कांग्रेस नेता पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत ने इस मुद्दे पर सरकार को जमकर घेरा पढ़ें पूरी खबर