राधा बहन का पद्मश्री पुरस्कार के लिए चयन: एक प्रेरणादायक यात्रा

राधा बहन का पद्मश्री पुरस्कार के लिए चयन: एक प्रेरणादायक यात्रा

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*भारतीय संस्कृति में समाज सेवा और त्याग के क्षेत्र में कई अद्वितीय व्यक्तित्वों ने अपनी छाप छोड़ी है। ऐसी ही एक प्रेरणादायक शख्सियत हैं राधा बहन , जिन्हें हाल ही में पद्मश्री पुरस्कार से सम्मानित किया जाने वाला है। उनके चयन की घोषणा गणतंत्र दिवस की पूर्व संध्या पर की गई, जो न केवल उनके लिए, बल्कि समस्त उत्तराखण्ड के लिए गर्व की बात है। राधा बहन का जन्म 16 अक्टूबर 1933 को अल्मोड़ा जिले के धुरका गांव में हुआ था। उनके माता-पिता, कमलापति और रेवती भट्ट, ने उन्हें अपने समाज में बदलाव लाने के लिए प्रेरित किया। मात्र 18 वर्ष की आयु में, उन्होंने अपने घर से निकलकर समाज सेवा की दिशा में कदम बढ़ाया। यह एक साहसी निर्णय था, जिसने उनके भविष्य की दिशा तय की।*

 

*कौसानी में आकर राधा बहन ने बालिका शिक्षा पर विशेष ध्यान केंद्रित किया। उन्होंने शिक्षा के माध्यम से न केवल लड़कियों को जीवन जीने की कला सिखाई, बल्कि उन्हें आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में भी कार्य किया। उनका यह प्रयास एक व्यापक सामाजिक बदलाव की नींव स्थापित करने में सहायक रहा। 1957 में भूदान आंदोलन के साथ उनकी पदयात्रा का आरंभ हुआ। यह आंदोलन महात्मा गांधी द्वारा स्थापित सिद्धांतों के आधार पर था, जिसमें भूमि की असमानता को समाप्त करने और गरीबों को भूमि प्रदान करने पर जोर दिया गया। राधा बहन ने बालिका शिक्षा, पर्यावरण संरक्षण, जल, जंगल, जमीन, ग्राम स्वराज, शराब आंदोलन और युवा महिला सशक्तीकरण जैसे विविध आंदोलनों में सक्रिय भागीदारी की।*

 

*राधा बहन ने सरला बहन, जो महात्मा गांधी की अनुयायी थीं, के कार्यों से प्रेरणा ली। 1975 में, उन्होंने सरला बहन के 75वें जन्मदिवस पर एक पद यात्रा की शुरुआत की, जो उनके जीवन के समर्पण को दर्शाती है। यह यात्रा न केवल व्यक्तिगत समर्पण की प्रतीक थी बल्कि समाज में व्यापक बदलाव लाने के लिए किए गए उनके प्रयासों का भी संकेत थी। पद्मश्री पुरस्कार के लिए राधा बहन भट्ट का चयन उनकी अटूट मेहनत, समर्पण और समाज के प्रति उनकी जिम्मेदारियों को समझने का परिणाम है। यह पुरस्कार उनके कार्यों को मान्यता और एक प्रेरणादायक संदेश देता है कि समाज सेवा की यात्रा किसी भी परिस्थिति में कभी भी शुरू की जा सकती है। उनकी कहानी हमें यह सिखाती है कि त्याग और सेवा के माध्यम से हम अपने समाज को एक बेहतर स्थान बना सकते हैं।*

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*वन संरक्षण और समाज सेवा में योगदान*
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*राधा बहन का जीवन एक प्रेरणादायक यात्रा है, जिसमें उन्होंने वन संरक्षण, सामाजिक जागरूकता और ग्राम स्वराज की स्थापना के लिए अपार संघर्ष किया है। 1976 में देवीधूरा ब्लॉक से निकली 75 दिनों की लंबी पदयात्रा उनके कार्यों का एक महत्वपूर्ण उदाहरण है। इस यात्रा में उन्होंने 65 गांवों का दौरा किया, जहां उन्होंने वन संरक्षण और पर्यावरण संतुलन को बनाए रखने के महत्व को उजागर किया। पदयात्रा के दौरान, राधा बहन ने 40 बालवाड़ी और 30 महिला संगठनों की स्थापना करके शिक्षा और स्वावलंबन के लिए एक ठोस आधार तैयार किया। उन्होंने ग्रामीण महिलाओं को संगठित किया, जिससे वे अपने अधिकारों के प्रति जागरूक हो सकें और अपने समुदाय की समस्याओं का सामना कर सकें। साथ ही, उन्होंने 12 गांवों के किसानों को कृषि के लिए प्रोत्साहित किया, जिससे स्थानीय संसाधनों का उपयोग कर सतत विकास का मार्ग प्रशस्त हुआ।*

*1980 में, राधा बहन ने खनन के खिलाफ भी आवाज उठाई। उन्होंने बताया कि कैसे अनियंत्रित खनन से पर्यावरण और स्थानीय समुदायों को हानि पहुंचती है। इससे न केवल प्राकृतिक संसाधनों का रिक्तिकरण होता है, बल्कि स्थानीय अर्थव्यवस्था भी प्रभावित होती है। उनका प्रयास यह था कि समाज को यह समझाया जा सके कि विकास के नाम पर यदि प्राकृतिक संसाधनों का दोहन किया गया, तो वह अंततः मानवता के लिए विनाशकारी साबित होगा। 2006 से 2010 के बीच, राधा बहन ने हिमालय और नदियों का सर्वेक्षण करते हुए हाइड्रो पावर परियोजनाओं का विरोध किया। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि इन परियोजनाओं से पारिस्थितिकी तंत्र में गंभीर असंतुलन उत्पन्न हो सकता है। उनका यह प्रयास वास्तविकता को सामने लाने के लिए ही नहीं, बल्कि जन जागरूकता फैलाने के लिए भी था।*

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*राधा बहन को मिला 2024 का स्वामीराम मानवता पुरस्कार: 10 लाख रुपये की सम्मान राशि प्राप्त*
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*13 नवंबर 2024 को हिमालयन अस्पताल जौलीग्रांट मेडिकल कॉलेज में 29वां महासमाधि दिवस, स्वामीराम की जीवनदृष्टि और उनके द्वारा स्थापित सेवा के सिद्धांतों को जीवित रखने का एक महत्वपूर्ण अवसर था। ऋषि चैतन्य आश्रम, सोनीपत, हरियाणा की संस्थापक आनंदमूर्ति गुरु मां, डॉ विजय धस्माना द्वारा इस विशेष अवसर पर, 2024 वर्ष का स्वामीराम मानवता पुरस्कार गांधीवादी नेता राधा बहन भट्ट को प्रदान किया गया। राधा बहन भट्ट, जिन्होंने पहाड़ी महिलाओं को सशक्त करने, शिक्षा के प्रचार, पर्यावरण संरक्षण, और शराब विरोधी आंदोलन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। पुरस्कार के अंतर्गत राधा बहन भट्ट को गोल्ड मेडल, प्रशस्ति पत्र और दस लाख रुपये का नगद पुरस्कार प्रदान किया गया, जो कि उनके समर्पण और साहस का प्रतीक है। इस पुरस्कार ने न केवल उनकी व्यक्तिगत उपलब्धियों को मान्यता दी, बल्कि समाज में उनकी प्रेरणादायक भूमिका को भी उजागर किया। राधा बहन ने समाजसेवा के लिए कई पुरस्कार प्राप्त किए हैं, जिनमें से कुछ उनके अनेकों कार्यों की प्रशंसा के रूप में हैं। कौसानी के लक्ष्मी आश्रम से जुड़ी राधा बहन आज भी समाज सेवा में सक्रिय हैं, और उनका जीवन यह दर्शाता है कि किस प्रकार एक व्यक्ति अपने समुदाय और पर्यावरण के लिए सकारात्मक बदलाव ला सकता है।*

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*वर्ष 2024 में प्रकाशित मेरी पुस्तक “मध्य हिमालय उत्तराखण्ड की ऐतिहासिक महिलाएँ” (प्रथम संस्करण) में, मैंने 31 अद्वितीय महिलाओं के जीवन का उल्लेख किया है, जिनमें एक प्रमुख नाम राधा बहन का है। राधा बहन जी का जीवन और कार्य केवल उत्तराखण्ड के लिए नहीं, बल्कि सम्पूर्ण भारतीय समाज के लिए एक प्रेरणा का स्रोत हैं।*

*राधा बहन का चयन पद्मश्री पुरस्कार के लिए आदर्श और प्रशंसनीय है। उनका संपूर्ण जीवन नवाचारी दृष्टिकोण और समाज सेवा के प्रति समर्पण का प्रतीक है। उन्होंने न केवल अपने क्षेत्र में उल्लेखनीय कार्य किए हैं, बल्कि उन्होंने अपनी अखंड निष्ठा और साहस से अपने समाज में भी बदलाव लाने का प्रयास किया है। मेरी पुस्तक में राधा बहन की जीवनी का विस्तृत उल्लेख करके, मैंने उनके संघर्ष, उपलब्धियों और समर्पण को दर्शाने का प्रयास किया है। यह न केवल उनके कार्यों की प्रशंसा है, बल्कि उन सभी महिलाओं के लिए प्रेरणा भी है जो समाज में एक सकारात्मक परिवर्तन लाने के लिए प्रयासरत हैं।*

*राधा बहन को इस सम्मानित पुरस्कार के लिए हार्दिक बधाई देना मेरे लिए गर्व का विषय है। उनका यह चुनाव यह दर्शाता है कि समाज में महिलाओं की भूमिका और उनके कार्यों की महत्ता को पहचाना जा रहा है। इससे नई पीढ़ी को प्रेरणा मिलेगी कि वे भी अपने क्षेत्र में उत्कृष्टता प्राप्त करें।*

शीशपाल गुसाईं, वरिष्ठ पत्रकार लेखक