सैन्य धाम के वीर सपूत शहीद दीपक के अदम्य साहस ने दिलाया शोर्य चक्र गोलियां लगने के बाद भी आतंकियों को खदेड़ते रहे दीपक

उत्तराखंड के जांबाज शहीद कैप्टन दीपक सिंह को मरणोपरांत शौर्च यक्र से सम्मानित किया गया है। राष्ट्रपति भवन में आयोजित समारोह में राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने वीर सपूत कैप्टन दीपक सिंह की बहादुरी और सर्वोच्च बलिदान को मरणोपरांत शौर्य चक्र प्रदान किया। उनके पिता उत्तराखंड पुलिस के सेवानिवृत्त अधिकारी महेश सिंह ने सम्मान ग्रहण किया।

रक्षा अधिकारियों के अनुसार, कैप्टन दीपक सिंह अगस्त 2024 में डोडा के अस्सार में चल रहे ऑपरेशन के दौरान शहीद हो गए। वह 48 राष्ट्रीय राइफल्स से थे। आतंक विरोधी ऑपरेशन के दौरान उन्हें गोली लग गई इसके बावजूद वो अदम्य साहस का परिचय देते हुए अग्रिम पोस्ट पर मजबूती से खड़े रहे और आतंकियों पर गोलियां बरसाते रहे। रक्षाबंधन से कुछ दिन पहले घायल कैप्टन दीपक सिंह शहीद हो गए।

शहीद कैप्टन दीपक सिंह मूलरूप से उत्तराखंड के अल्मोड़ा के रहने वाले थे। उनका परिवार देहरादून में रह रहा था। कैप्टन दीपक ने बारहवीं तक की पढ़ाई सेंट थामस स्कूल से की। 13 जून 2020 को वह सेना में कमीशन हुए। उनके पिता महेश सिंह उत्तराखंड पुलिस के रिटायर कार्मिक हैं। वह पुलिस मुख्यालय में तैनात थे और पिछले साल अप्रैल में वीआरएस लिया था। मां चंपा देवी गृहणी है।
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने शहीद दीपक के शौर्य को नमन करते हुए एक्स पर लिखा है कि, सैन्यभूमि उत्तराखंड को अपने इस वीर सपूत पर गर्व है। शहीद कैप्टन दीपक सिंह जी का शौर्य, बलिदान और कर्तव्यनिष्ठा आने वाली पीढ़ियों के लिए प्रेरणास्रोत है।