शास्त्रों के संरक्षण में नई शिक्षा नीति की भूमिका अहम

देवप्रयाग। केन्द्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय श्री रघुनाथ कीर्ति परिसर में संस्कृत की राज्यस्तरीय शास्त्रीय स्पर्धाएं बृहस्पतिवार से आरंभ हो गयी हैं। इनमें राज्यभर के संस्कृत विद्यालयों,महाविद्यालयों और विश्वविद्यालयों के छात्र भाग ले रहे हैं। समापन 12 मार्च को होगा।
कार्यक्रम का उद्घाटन करते हुए लाल बहादुर शास्त्री राष्ट्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय के संस्कृत साहित्य एवं संकाय प्रमुख प्रो. भगीरथ नंद ने कहा कि नई शिक्षा नीति हमारे शास्त्रों का संरक्षण करने में महत्त्वपूर्ण सिद्ध होगी। इस नीति से हमारे बच्चे अपने पौराणिक ज्ञान को ग्रहण कर नैतिक,चारित्रिक और सामाजिक रूप से श्रेष्ठ बन पाएंगे।
सारस्वत अतिथि डॉ.शैलेन्द्रनारायण कोटियाल ने बच्चों का आह्वान किया कि वे जीवन में आगे बढ़ने के लिए प्रतिस्पर्धा की भावना बनाए रखें। उन्होंने कहा कि संस्कृत हमारे देश में रोजगार का बेहतरीन माध्यम बन सकती है।
अध्यक्षता करते हुए निदेशक प्रो.विजयपाल शास्त्री ने कहा कि स्पर्धा में सफलता के लिए केवल रटना सही नहीं,अपितु पढी़ गयी बातों पर चिंतन और मनन भी करना चाहिए।
इससे पहले कार्यक्रम का उद्घाटन दीप प्रज्ज्वलित कर किया गया। स्वागत भाषण वेदविभागाध्यक्ष डॉ.शैलेन्द्रप्रसाद उनियाल ने दिया। संचालन कार्यक्रम संयोजक डॉ.अनिल कुमार ने किया। उन्होंने बताया कि केंद्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय हर साल राज्यस्तरीय शास्त्रीय स्पर्धाओं का आयोजन करता है। कोविड-19 के कारण इस बार प्रतियोगिता विलंब से हो रही है। इन स्पर्धाओं के अंतर्गत श्रीमत् भगवतगीता कण्ठपाठ,अष्टाध्यायी,अमरकोष,काव्यकण्ठ पाठ, धातुकण्ठ पाठ,भाषण, श्लाका एवं अक्षरश्लोकी प्रतियोगिताएं हो रही हैं। अलग-अलग स्पर्धाओं में प्राक्शास्त्री (11वीं) से लेकर आचार्य(एमए) तथा पीएचडी के छात्र भाग ले रहे हैं। राज्यस्तरीय स्पर्धा में विजेता रहने वाले छात्र राष्ट्रीय स्तर की स्पर्धाओं में भाग लेने जाएंगे। स्पर्धाओं में पतंजलि गुरुकुल मुल्यागांव,गुरुकुल पौंधा,देहरादून,हल्द्वानी इत्यादि के अनेक छात्र प्रतिभाग कर रहे हैं। स्पर्धाओं के निर्णायक प्रसिद्ध विषय विशेषज्ञ हैं। बच्चों के भोजन व ठहरने की उचित व्यवस्था परिसर की ओर से निःशुल्क की गयी है।
इस मौके पर डॉ.कृपाशंकर शर्मा, डॉ.अरविन्दसिंह गौर,डॉ.वीरेंद्र सिंह बर्त्वाल,पंकज कोटियाल,डॉ.सुरेश शर्मा,डॉ.श्रीओम शर्मा, जनार्दन सुवेदी,आशुतोष तिवारी आदि उपस्थित थे।

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