हलचल तेज:कभी भी किसी भी समय हो सकता दायित्वों का बंटवारा, सीएम धामी लौटे दिल्ली से मंत्रीमंडल विस्तार पर दी जानकारी

हलचल तेज:कभी भी किसी भी समय हो सकता दायित्वों का बंटवारा, सीएम धामी लौटे दिल्ली से मंत्रीमंडल विस्तार पर दी जानकारी

वरिष्ठ पत्रकार राजनीति की समझ रखने वाले पत्रकार ने बताया कि इस बार मैदानी लोगों को दायित्व में ज्यादा हिस्सेदारी हो सकती है
दायित्वधारियों में लगभग:50 से60 नाम फाइनल
23 मार्च से पहले बंट सकते हैं दायित्व

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देहरादून: राज्य में कैबिनेट विस्तार और फेरबदल चैत्र नवरात्र पर हो सकता है। ऐसे में भाजपा के संभावित मंत्री दावेदारों का इंतजार बढ़ गया है। मुख्यमंत्री पुष्कर धामी दिल्ली से लौटते हुए मीडिया को इस बात की जानकारी दी सीएम धामी ने कहा की में व्यक्तिगत कार्यक्रमों में गया था कुछ समारोह में शामिल होना था मंत्रिमंडल को लेकर मेरी कोई बातचीत नहीं हुई।

मंत्री प्रेमचंद अग्रवाल के इस्तीफे के बाद कैबिनेट विस्तार की जल्द अटकलें लगाई जा रही थीं। विधानसभा के बजट सत्र के दौरान संसदीय कार्यमंत्री के विवादित बयान देने पर भाजपा हाईकमान ने सख्त रुख अपनाते हुए उनसे इस्तीफा ले लिया था। इसके बाद प्रेमचंद ने 16 मार्च को मंत्री पद से इस्तीफा दे दिया था। पहले माना जा रहा था कि कैबिनेट विस्तार सरकार के तीन साल का कार्यकाल पूरा होने के आसपास हो सकता है, लेकिन फिलहाल यह इंतजार बढ़ता नजर आ रहा है। बताया जा रहा है कि भाजपा हाईकमान भी नवरात्र के मौके पर कैबिनेट विस्तार के पक्ष में है। 30 मार्च से नवरात्र शुरू हो रहे हैं। इस लिहाजा से कैबिनेट विस्तार भी इसी के आसपास होने की उम्मीदें जताई जा रही हैं। मंत्रिमंडल में पांच सीटें खाली होने से भाजपा के कई विधायक

इस दौड़ में हैं। यह भी तय माना जा रहा है कि कैबिनट विस्तार में क्षेत्रीय व जाति संतुलन का पार्टी ख्याल रखेगी। वहीं, जिन जिलों से प्रतिनिधित्व नहीं है, वहां के भाजपा विधायकों में सबसे ज्यादा हलचल मची है। मुख्यमंत्री धामी मंगलवार से दिल्ली में हैं, इस बीच उनकी हाईकमान के वरिष्ठ नेता से भेंट हुई या नहीं यह फिलहाल सार्वजनिक नहीं हुआ है।

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दायित्वों के संभावित दावेदारों में भी बेचैनीः भाजपा सूत्रों के अनुसार कैबिनेट विस्तार से पहले दायित्वों का आवंटन हो सकता है। प्रदेश संगठन की तरफ से ऐसे 30-32 वरिष्ठ कार्यकर्ताओं की सूची भेजी गई है। महिला आयोग, बाल आयोग, अल्प संख्यक आयोग, उत्तराखंड वन विकास निगम, श्री बदरीनाथ-केदारनाथ मंदिर समिति के साथ ही जीएमवीएन, केएमवीएन आदि आयोग और परिषदों में अध्यक्ष और उपाध्यक्ष के पद रिक्त चल रहे हैं। राज्य महिला और बाल आयोग के अध्यक्षों का कार्यकाल खत्म हो चुका है। सरकार ने नई नियुक्ति होने तक फौरी तौर पर दोनों का कार्यकाल बढ़ाया है