आप सच्चे पहाड़ी हो त्रिवेंद्र सिंह रावत: वरिष्ठ पत्रकार लेखक डॉ.वीरेंद्र सिंह बर्त्वाल, की कलम से

आप सच्चे पहाड़ी हो त्रिवेंद्र सिंह रावत: वरिष्ठ पत्रकार लेखक डॉ.वीरेंद्र सिंह बर्त्वाल, की कलम से

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देहरादून: पूर्व सीएम हरिद्वार सांसद त्रिवेंद्र सिंह रावत का रैबार पहाड़ का ने एक निजी कार्यक्रम में उनका गढ़वाली में प्रेमचंद अग्रवाल के विधानसभा सदन में गाली देने के मामले में सवाल पूछा था जिसका उन्होंने बेबाकी से जबाब दिया और कहा सदन में बहुत गलत हुआ मंत्री को माफी मांगनी चाहिए, हमें पहाड़ी मैदानी नहीं करना चाहिए हम सब उत्तराखंडी हैं पहाड़ मैदान नहीं करना चाहिए।

उनकी बेबाकी और गढ़वाली में बातचीत करने पर सोशल मीडिया पर हो रही जमकर तारीफ देखें क्या लिखा वरिष्ठ पत्रकार लेखक वीरेंद्र सिंह बर्त्वाल की कलम से

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त्रिवेन्द्र सिंह रावत जी! आपकी बेबाकी को नमस्कार करता हूं। सच कहना कठिन तो होता है,पर इसे व्यक्त करने के बाद आपका मन निर्मल और आत्मा अकलुषित हो जाती है। सत्य कहने के लिए साहस की आवश्यकता होती है,वह आप में है।
दूसरी महत्त्वपूर्ण बात यह कि आपको ‘रैबार’ चैनल पर गढ़वाली में साक्षात्कार देते देखा है। मेरे राज्य के कम ही नेता हैं,जो अपनी मातृभाषा गढ़वाली,कुमाऊनी,रं, जौनसारी आदि में बातचीत करते हों, भाषण देते हों, मीडिया में बाइट देते हो या हिंदी में बातचीत में भी प्रसंगानुसार अपनी मातृभाषा में लोकोक्ति-मुहावरे का प्रयोग करते हों। आप केवल अपने को जबरदस्ती पहाड़ी नहीं कहते हैं, बल्कि आप स्वाभाविक पहाड़ी हो। यहां की मिट्टी का स्वाभिमान आपकी दृष्टि, विचारों और हाव-भाव में स्पष्ट दीखता है। मैं ने अपने गांव की चौपाल में ग्रामीणों के साथ बैठे हुए आपके चित्र भी देखे हैं और एक पहाड़ी की तरह बीसियों मील की पैदल यात्रा करते भी आपको देखा है। संभवतः इसलिए कोई आपसे पहाड़ी होने की डिग्री नहीं मांगता है। आप चिफऴ्या नहीं हो,सच्चा पहाड़ी चिफऴया होता भी नहीं है।
उत्तराखंड के मुख्यमंत्री रहते आप पर कुछ आरोप लगे हैं,वह अलग है, परंतु आपमें बहुत-सी ऐसी खूबियां भी हैं, जिन्हें अनदेखा करना मानवता को त्यागना जैसा होगा। मैं आपसे अभी तक केवल एक बार लगभग दो दशक पहले विधानसभा में मिला हूं,जब आप कृषि मंत्री थे और मैं पत्रकार। मैंने आपका साक्षात्कार लिया था। फिर इतनी ही अवधि पूर्व आपने फोन पर मेरा एक काम कर दिया था। मेरे गांव में बकरियों का रोग लग गया था। मैंने आपको गांव के नागरिक के नाते यह समस्या बताई थी और आपने 14 घंटे में ही मेरे दुर्गम गांव में पशु डॉक्टरों की टीम भेज दी थी। एक ग्रामीण के लिए एक पशुपालन मंत्री की इससे बड़ी क्या सहायता हो सकती है। इस घटना पर आपने मेरा दिल जीत लिया था।
खास बात यह है कि आपने किसी पेड़ पर लगे फल नहीं तोड़ें, बल्कि स्वयं पेड़ लगाकर सियासत के फल चखे हैं। राजनीति के ऊबड़-खाबड़ धरातल पर अनेक अनुभवों को आत्मसात कर आपमें निखार आया है।
ब हर हाल, उत्तराखंड के हालिया प्रकरण पर आपने जो बेलाग लपेट की दो टूक कही, वह अति प्रशंसनीय है।

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-डॉ.वीरेंद्र सिंह बर्त्वाल, देवप्रयाग