राजेन्द्र भण्डारी की राह पर चल पड़े युवा काँग्रेस नेता मनदीप पटवाल

विधायक दलीप सिंह रावत के नेतृत्व में अपनी धर्मपत्नी व नवनिर्वाचित जिला पंचायत सदस्य ज्योति पटवाल को भाजपा में सम्मिलित करवाया।

जयहरीखाल की जनता की जनभावनाओं को लगा जोर का झटका। अपने को ठगा महसूस कर रहे।

वरिष्ठ पत्रकार चंद्रमोहन जदली की कलम से
लगातार तीन बार विधायक बने दलीप सिंह रावत की धर्मपत्नी नीतू रावत को उनके ही गढ़ में बड़ी शिकस्त दे कर अपनी धर्मपत्नी ज्योति पटवाल को जिताया था जिला पंचायत सदस्य का चुनाव।
जिन विधायक के विरोध में जनता ने मनदीप पटवाल की धर्मपत्नी ज्योति को जिताया , अब उन्हीं की शरण में जाकर भाजपा में सम्मिलित हो गए।
सफ़लता की पहली ही सीढ़ी में बड़ी राजनीति का शिकार हो गए,,शुरु में ही विचलित होने की बजाय जनभावनाओं के अनुरूप सही निर्णय व सही नीति पर चलते तो राजनीति में बहुत दूर तक जाते। गणेश गोदियाल जी के व्यक्तित्व की बजाय राजेन्द्र भण्डारी की नीतियों का अनुसरण करने का ज़ोखिम लेने का साहस भी हर कोई नहीं कर सकता। आज राजेन्द्र भंडारी जी के भाजपा में जाने के बाद की दुर्गति दुनिया देख चुकी है।
पर सब कुछ जानते हुए भी न जाने किस प्रलोभन या विवशता के चलते मनदीप पटवाल ने ऐसा साहसिक जोखिमपूर्ण निर्णय लिया होगा इस बात की चर्चा आज सब जगह हो रही है।
एक बड़े नेता ने अपने क्षेत्र में एक तेज़ी से उभरते हुए घुर विरोधी युवा नेता की बढ़ती राजनीतिक लोकप्रियता को बड़ी की चतुराई से ठीक उल्टी दिशा में मोड़ दिया। जहाँ कल तक युवा नेता की ऐतिहासिक सफ़लता व भविष्य में बढ़ते राजनीतिक कद को लेकर चर्चाएँ तेजी से बढ़ रही थी। आज पार्टी बदलते ही भविष्य की राजनीति को शंका की दृष्टि से देखा जा रहा है व कल तक चल रही प्रशंसा अब जनाक्रोश में बदल चुकी है। अब स्थानीय भाजपा कार्यकर्ता मनदीप पटवाल को दिल से कितना स्वीकार करेंगे ? ये भविष्य के गर्त में है।