विश्लेषण- उत्तराखण्ड: सीएम को लेकर इतना सस्पेंस क्यों…? जाने पूरी वजह….तथ्यों के साथ

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• क्या धामी को मिलेगा एक और मौका…या त्रिवेंद्र धनदा महाराज लगाएंगे चौका

• क्या बलूनी की होगी आस पूरी…या निशंक बदलेगे राजनीति की… धूरी…या अजय भट्ट जरुरी..की सुरेश भट्ट की मुराद होगी पूरी..अजय टम्टा जरुरी

• राजनाथ सिंह मीनाक्षी लेखी के पर्वेक्षक बनने के दो प्रमुख वजह राजपूत को सीएम चेहरा बनाना या राजपूत के नाम से ब्रहामण चेहरे की ताजपोशी करना

:-उत्तराखंड में 63 प्रतिशत राजपूत वोटर है जबकि ब्रहामण वोटर मात्र 11प्रतिशत है ऐसे में 2024 को देखते हुए केंद्र राजपूत चेहरे पर दांव खेल सकती है यह राजनीति के जानकारों का मानना है।

:- ब्राह्मण वर्ग का कहना है कि लगातार पांच साल राजपूत सीएम बने इस बार ब्रहामण चेहरे को तवज्जो मिलनी चाहिए।

:-उत्तराखंड के पहले महिला मुख्यमंत्री के रूप में रेखा आर्य और ऋतु खंडूरी पर भाजपा खेल सकती है दांव

देहरादून: लोकतंत्र के चुनावी पर्व का उल्लास भले ही ख़त्म हो चुका हो लेकिन उत्तराखंड में सरकार के सरदार को लेकर सस्पेंस बरक़रार है। जनादेश हासिल करने वाली भाजपा की स्थिति उस गाड़ी की तरह है जिसका ड्राइवर ढंगार पड़ गया लेकिन गाड़ी और सवारी सही सलामत है। ऐसा नहीं भाजपा इस एक्सीडेंट से डरी हो लेकिन कोई तो बात है कि भाजपा सीएम को लेकर सस्पेंस बनाये हुई है। वही लगातार ब्रहामण विधायकों के दबाव में आकर केन्द्रीय नेतृत्व 63 प्रतिशत राजपूतो को नाराज करेगा?- देखिए दीपक कैंतुरा की विश्लेषणात्मक रिपोर्ट

उत्तराखंड में सीएम को लेकर सबसे बड़ा पेच भाजपा प्रदेश अध्यक्ष मदन कौशिक पर फंसा हुआ है,जिसे कोशिक चाहेंगे वही सीएम बनेगा

10 मार्च को चुनाव परिणाम आने के बाद भाजपा में कहीं खुशी और कई गम देखने को मिल रहा है खुशी है तो मिथक तोड़कर सत्ता में आने की और गम है तो सीएम धामी के चुनाव हारने की…धामी के चुनाव हारने के बाद पूर्ण बहुमत में आने पर भी सीएम को लेकर लंबा इंतजार करना पड़ रहा है..लेकिन सीएम धामी की चुनाव हारने के बाद लोकप्रियता बढ़ी है, इसके लिए हमने कुछ लोगों से बात की और इसमें अलग अलग बातें सामने आई है..और लोगों का कहना है कि कि धामी एक युवा चेहरा हैं और जिस तरह से उनहोंने ताबड़तोड़ बैंटिग की और फैसले लिए उनसे उनकी लोकप्रियता बढ़ी और पीएम मोदी ,राजनाथ सिंह समेत तमाम केन्द्र के नेताओं ने धामी की जमकर तारीफ की और धामी का एक प्लस प्वांइट ये है कि वह सहनसील हैं और गंभीरता से जबाव देते हैं और लगभग उत्तराखण्ड के 80 प्रतिशत लोग धामी को दोबारा सीएम देखना…चहाते हैं ।

वहीं बात करें पूर्व सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत की जिनहोंने लाख विरोध के बाद भी राज्यहित में कई ऐतिहासिक फैसले लिए जिसमें सबसे बड़ा फैसला गैरसैंण को ग्रीष्मकालीन राजधानी बनाना,ट्रांसफर एक्ट बनाना, फिल्मनीति बनाना .. जिनकी नीति के कारण आज बड़े बड़े फिल्म मैकर उत्तराखण्ड में शूटिंग करने के लिए आ रहे हैं.. और सबसे बड़ी बात है कि उनके चार साल के किए गए विकास कार्यों पर जनता ने मुहर लगाई.. और अपनी सीट से अपने प्रत्याशी पंडित वृजभूषण गैरोला को ऐतिहासिक वोट से विजय दिलाई..वहीं सबसे बड़ी बात ये है कि त्रिवेंद्र सिंह रावत क्यों हटाए गए इसका आजतक किसी को पता नहीं है…क्योंकी उन पर भ्रष्टाचार का एक भी दाग नही है. और उनके नेतृत्व में भाजपा हर चुनाव को जीती है .इसलिए हाईकमान एक बार फिर त्रिवेंद्र सिंह रावत पर भी दांव खेल सकती है।

वहीं बात करें तीरथ सिंह रावत जो मात्र तीन महिना ही सीएम रहे वह भी सीएम की रेस में शामिल है.. लेकिन बड़ा सवाल यह है कि 47 विधायक मिलने के बाद 9 दिन बाद भी सीएम का ऐलान ना करना अपने आप में अंतरविरोध दर्शाता हैं वहीं सूत्रों और राजनीति के जानकारों की माने तो मोदी और अमित शाह अपने पसंद का सीएम बनाना चहाते हैं लेकिन सीएम को लेकर जातीय और क्षेत्रीय संतुलन का समाजास्य बिठाने को लेकर इतनी मथापच्ची चल रही है.. सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार ब्रहामण विधायक लगातार ब्रहामण चेहरे को लेकर पैरवी कर रहे हैं .. और जिसके लिए विधायकों ने लॉबिंग तेज करदी जिस में ब्रहामण चेहरे को लेकर जो नाम सुझाए गए उनमें प्रमुख नाम इस – रमेश पोखरियाल निशंक,अनिल बलूनी,विजय बहुगुणा,ऋतु खंडूड़ी, मदन कौशिक,सुबोध उनियाल .. , के नाम को सुझाया गया लेकिन अब जाती समीकरण के बाद क्षेत्रीय समीकरण आड़े आ रहे हैं वहीं कुमांऊ के लोगों का मानना है कि लगातार हमेशा सीएम भाजपा ने गढ़वाल से बनाए कुमांऊ की हमेशा उपेक्षा होती रहती है..इसलिए वह कुमांऊ से सीएम होना चाहिए धामी कुमांऊ से थे लेकिन वह चुनाव हार गए लेकिन अब यह कल ही मालूम पड़ेगा की महाराष्ट्र के राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी के करीबी धामी को क्या एक और मोका मिलेगा या वह पूर्व हों जायेगे..साथ ही अब बात करें युवा चेहरों की तो जिनकी हमेशा सीएम के लिए चर्चा होती रहती है राज्यसभा सांसद अनील बलूनी है जिनको लेकर कई समाचार पोर्टल उनकी पैरवी में लगे हुए हैं.. और पूर्व सीएम त्रिवेंद्र रावत हटने के बाद अनील बलूनी सीएम की रेस में सबसे आगे थे लेकिन तीरथ सिंह रावत को सीएम बनाकर हाईकमान ने सबको चौकाया था..वहीं बलूनी को मोदी और अमित शाह का करीबी माना जाता है..वहीं सूत्रों ने बताया की बलूनी को सीएम बनाने के लिए एक लॉबी लगातार हाईकमान के सामने पैरवी कर रहे हैं जिसमें देश के बड़े पदों से लेकर और उत्तराखण्ड के विधायक और पूर्व मुख्यमंत्रियों ने एड़ी चोटी का जोर लगाकर लॉबिग तेज कर दी है..लेकिन पूर्व सीएम त्रिवेंद्र हटने के बाद अनिल बलूनी शांत बैठे हैं.।

. त्रिवेंद्र के सीएम रहते कई चिट्टिया और प्रस्ताव को लेकर उनकी फोटो सोशल मीडिया पर देखी गई लेकिन त्रिवेंद्र हटने के बाद उनके पत्र सोशल मीडिया पर यह कम ही सक्रिय देखे गए..वहीं जब सीएम का सर्वे होता तो वह दूसरे नंबर पर दिखाई देते हैं हर सर्वे पर पर वह सर्वे कैसा होता है वह भी अपनेआप में बड़ा सवाल है ?वहीं धामी के हारने के बाद उनकी सीएम बनने की लालसा और बढ़ गई है… वहीं अनिल बलूनी की राह में सबसे बड़ा रोड़ा अटक रहा है वह भाजपा के राष्ट्रीय मीडिया प्रभारी है…मोदी और अमित शाह यह रिस्क नहीं लेना चाहायेंगे की उनका मीडिया मैनजमेंट 2024 में गड़बडा जाय इसलिए अनील बलूनी की राह में सबसे बड़ा रोड़ा है.. अब देखना होगा की वह सीएम बनते हैं या उनकी आस – आस बनकर रहती है फिर..वहीं बात करें रमेश पोखरियाल निशंक , राजनीति के चतुर खिलाड़ियों में शामिल हैं और मोदी और अमित शाह उनके कार्यों से बहुत प्रभावित हैं..वहीं बात करें मदन कौशिक की तो जिस तरह से चुनाव के बाद मदन कोशिक पर उनके विरोधियों ने आरोप लगाए तो वह कहीं न कहीं अपने आप में मजबूत दावेदार है.. वहीं बात करें कुमांऊ के मजबूत ब्रहामण चेहरे की तो एक नाम है अजय भट्ट जो कई बार विधायक और भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष भी रह चूके हैं..और वर्तमान में केन्द्रीय रक्षा राज्यमंत्री हैं और उनकी साफ छवि है और सीएम के पैमाने पर हर तरह से फिट बैठते हैं..लेकिन सवाल यह है कि भाजपा एक और उप चुनाव नहीं चाहेगी.. वहीं कुमांऊ से एक और बड़ा नाम महिला नेत्री रेखा आर्य का है जो महिला सीएम बनने के पूरे पैमाने पर खरी उतरती है।वहीं सोशल मीडिया पर एक और खबर चली की ऋतु खड़ूड़ी को सीएम बनाया जा रहा है, जब हमने उनके समर्थकों से जानने की कोशिश की कि ऋतु खड़ूड़ी की क्या विशेषता है कि उनको सीएम बनाया जाय तो उनके समर्थकों का कहना था कि वह पूर्व सीएम भूवन चंद्र खड़ूड़ी की बेटी हैं ,और उनके पति भारत सरकार में प्रमुख स्वास्थ्य सचिव हैं और मोदी के करीबी हैं और इसलिए उनको सीएम बनाया जा सकता है।

वहीं सोशल मीडिया में एक और खबर तैरी है जिसमें लिखा गया की अचानक वंशीधर भगत को दिल्ली बुला दिया गया और उनके शुभचितंका कहना था की सीएम की रेस में वह सबसे आगे है इसलिए उनको दिल्ली बुलाया गया लेकिन इस बात में कितनी सच्चाई है यह वंशीधर भगत ही बता सकते हैं ..वहीं अब राजपूत चेहरों की बात करें तो जिसमें प्रमुख नाम है सतपाल महाराज का जिनका अपने आप में एक बड़ा कद है और उनको राजनीति में विधायक सांसद केन्द्र में काम करने का अनुभव है..साथ ही महाराज के साथ उनके लाखों अनुयाय उनके साथ जुड़े हैं और सबसे बड़ी बात ऋषिकेश कर्णप्रयाग रेल लाइन में यदि किसी का बड़ा योगदान है वह सतपाल महाराज का है… और महाराज इस बार यूपी में योगी के लिए कई जनसभा में प्रतिभाग किया.. इससे सतपाल महाराज की सीएम के लिए लॉटरी लग सकती है..

वहीं दूसरा बड़ा नाम आता है डॉ . धन सिंह रावत का .. डॉ. धन सिंह रावत , पीएम नरेंद्र मोदी और अमित शाह के सबसे लोकप्रिय लोगों में गिना जाता है वहीं डॉ .धन सिंह रावत की केन्दरीय रक्षामंत्री राजनाथ सिंह, रेल मंत्री पीयूष गोयल,केन्द्रीय मंत्री धर्मेंद्र प्रधान के साथ केन्द्र में मजबूत पकड़ है.. वहीं भाजपा की विशेष बात है की सीएम वही बनेगा जिस के सर पर संघ का हाथ होगा बता दें कि डॉ धन सिंह रावत की संघ संगठन में मजबूत पकड़ है और आपको याद होगा कि डॉ धन सिंह रावत की चुनावी सभा में पीएम मोदी ने अपने भाषण में कहा था की आप इनको आशीर्वाद दो हम इनको अपना आशीर्वाद देंगे वहीं धन सिंह रावत ने कांग्रेस के लोकप्रिय और कद्दावर नेता और कांग्रेस के गणेश गोदियाल को पराजीत कर कांग्रेस को बड़ा नुकसान पहुंचाया है जिससे डॉ धन सिंह रावत की प्रबल संभावना मानी जा रही हैं।

लेकिन आज अचानक उत्तराखण्ड से पूर्व सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत को हाईकमान ने दिल्ली बुलाया है जिससे राजनीति में और हलचल मच गई वहीं साथ में महाराष्ट्र के राज्यपाल भगत सिंह कोशियारी,पुष्कर सिंह धामी, और मदन कोशिक को तुरंत हाईकमान ने दिल्ली बुलाया है तो ऐसे में कयास लगाए जा रहे हैं कि भाजपा हाईकमान एक बार फिर से सबको चौका सकती है, यदि भाजपा राजपूत चेहरों पर दांव खेलती है तो इसमें प्रबल दावेदार,पुष्कर सिंह धामी,पूर्व सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत,डॉ धन सिंह रावत,सतपाल महाराज, प्रमुख हैं..वहीं ब्रहामण चेहरोंपर दांव खेलती है तो पहला नाम अजय भट्ट,रमेश पोखरियाल निशंक,सुरेश भट्ट ,अनिल बलूनी का नाम प्रमुख है।

..लेकिन सीएम जो भी बने लेकिन यह प्रदेश का दुर्भाग्य है कि जातिवाद क्षेत्रवाद,ब्रहामणवाद,राजपूतवाद,कुमांऊवाद का नतीजा है की पंजाब में सरकार ने काज शुरु कर दिया है और यहां सीएम को लेकर सब कयास लगा रहे हैं और पूर्ण बहुमत मिलने के बाद भी सीएम नहीं बना पा रहे हैं…जबतक जातिवाद क्षेत्रवाद की राजनीति पर विराम नहीं लगता तब तक उत्तराखण्ड के विकास की बात करना सरासर झूठी बात है।

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