कलियुग में भगवान का नाम ही कल्पतरू है आचार्य मंमगाईं

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कराल (कलियुग के) काल में तो नाम ही कल्पवृक्ष है, जो स्मरण करते ही संसार के सब जंजालों को नाश कर देने वाला है। कलियुग में यह कृष्ण नाम मनोवांछित फल देने वाला है, परलोक का परम हितैषी और इस लोक का माता-पिता है (अर्थात परलोक में भगवान का परमधाम देता है और इस लोक में माता-पिता के समान सब प्रकार से सुख देता है उक्त विचार ज्योतिष्पीठ व्यास आचार्य शिव प्रसाद ममगांई नें दिव्याचंल विहार राजीव नगर लोअर देहरादून भैरव मन्दिर प्रंगण में मैठाणी परिवार के द्वारा आयोजित श्रीमद्भागवत महापुराण चतुर्थ दिवस पर कहा कि शरीर में दो जन है- जीव और शिव । भगवान कहते है: ‘यह शरीर मेरा है और मेरे लिए है’ और जीव कहता है, ‘यह शरीर मेरा है और मेरे लिए है’ ऐसी लडाई चल रही है । उसमें भगवान! आपकी जय होनी चाहिए । जिसके जीवन में भगवान की जय होती है उसे हम सन्त कहते हैं । सन्त कहते है कि, ‘यह देह भगवान का है, भगवान के लिए है’ भगवान को भी देह के उपर अपना हक्क सिद्ध करने के लिए दलीले देनी पडती है। ‘क्षेत्रज्ञं चापि मां विद्धि सर्वक्षेत्रेषु भारतं ’। फिर भी हम समझते हैं कि देह हमारा है, हमारे लिए है,धर्म अधर्म का ज्ञान सभी जीवों को होता है परन्तु हमारे स्वामी धर्म राज अपनी पूरी में बैठे बैठे अपने मन से ही सब जीवो का पूर्वरूप अर्थात धर्म अधर्म विशेष रूप से देख लेते हैं फिर अपूर्व प्रकार से अर्थात जो इसके योग्य होता है उसका वैसा ही विचार किया करते हैं परन्तु वह भगवान और अज हैं इसलिये उनका इस प्रकार से कुछ करना असंभव नही है जीव अज्ञान व अविद्या में फंसा हुआ है और भाग्यहीन कर्मों से लिप्त जो यह वर्तमान देह है यह इसकी ही उपासना करता है अर्थात इस देह को ही आत्मा समझता है पूर्व अथवा अपर को कुछ बी नही मानता इस कारण उसको पूर्व जन्मों की स्मृति भूल जाती है जैसे सोया हुआ पुरुष स्वप्न को ही सत्य समझता है जाग्रत शरीर को स्वप्न से प्रथम शरीर को कुछ भी नही वहीं महापौर सुनील उनियाल गामा जी नें अपने उद्बोधन में समाज को एकजुट होने के लिए भागवत जैसी कथाओं की आवश्यक्ता बताई और कहा मै हर विकास व धार्मिक कार्यों में आगे रह कर महानगर के विकास को प्रमुखता देता हूं सभी से षहर को स्वच्छ रखने काआग्रह किया
इस अवसर पर मुख्य रूप से महानगर देहरादून के महापौर सुनील उनियाल गामा जीआनन्दमणि मैठाणी हिमांशु रवि मोहित संजीत शांति प्रसाद नौटियाल हरीश डिमरी संदीप सूर्यप्रकाश नौटियाल आनन्द जगदीश नौटियाल पूर्व प्रधानाचार्य देवी प्रसाद ममगांई रमेश चन्द्र भट्ट पंकज गैरोला बीना वर्षा सुमित्रा रेखा राजेश्वरी कविता डिमरी सुरुचि अनामिका नेहा पूजा नौटियाल सुशीला प्रर्वतक सदस्य बद्रीनाथ केदार मन्दिर समिति के हीरश डिमरी उमेश नौटियाल आनन्दी भट्ट सुनीता गैरोला देवेश्वरी राणा आशा भट्ट लाजवन्ती चतुर्वेदी मनमोहन थपलियाल विजयलक्ष्मी थपलियाल अनिल कैंथोला विनीता कैंथोला सशीभूषण इंदु मैठाणी ओम प्रकाश आदि भक्त गण उपस्थित रहे ।।

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