उत्तराखंड की नारी ने रचा इतिहास-ऋतु बनी पहली महिला स्पीकर

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उत्तराखंड में आज बन गया इतिहास रितु खंडूरी भूषण को उत्तराखंड में निर्विरोध विधानसभा अध्यक्ष घोषित कर दिया गया है ऐसे में प्रोटेम स्पीकर बंशी धर भगत ने इसकी घोषणा की कांग्रेस ने कोई प्रत्याशी खड़ा नहीं किया है.

मूल रूप से उत्तराखंड के पौड़ी गढ़वाल के राधाबल्लभ पुरम गांव के रहने वाले उनके पिता मेजर जनरल (रिटा.) भुवन चंद्र खंडूरी एक फौजी ऑफिसर थे. फौज से रिटायरमेंट होने के बाद उन्होंने लोकसभा चुनाव लड़ा और जीते.वह वाजपेयी सरकार में मंत्री भी बने. ऋतुखंडूरी का जन्म नैनीताल में 29 जनवरी 1965 को एक फौजी परिवार में हुआ. ऋतु ने मेरठ के रघुनाथ गर्ल्स कॉलेज से अपनी ग्रेजुएशन की पढ़ाई पूरी की उसके बाद राजस्थान विश्वविद्यालय से पोस्ट ग्रेजुएशन और दिल्ली से पत्रकारिता में डिप्लोमा किया.

आईएएस हैं ऋतु के पति
ऋतु खंडूरी के पति राजेश भूषण बिहार कैडर के आईएएस अधिकारी हैं. ऋतु के पति राजेश भूषण बेंजवाल आईएएस अधिकारी हैं और वर्तमान में वे मोदी सरकार में केंद्र में स्वास्थ्य सचिव के पद पर तैनात हैं. बीजेपी नेता लंबे समय से समाजसेवा में भी ऐक्टिव रही हैं. कर्णप्रयाग-पोखरी मोटर मार्ग पर स्थित खाल गांव में ऋतु की ससुराल का पुश्तैनी मकान भी है.

 
56 वर्षीय ऋतु ने 1986 में मेरठ यूनिवर्सिटी के रघुनाथ गर्ल्स कॉलेज से बीए ऑनर्स की डिग्री ली थी. सेना से रिटायर होकर सियासत में आए उनके पिता बीसी खंडूरी 2007 से 2009 और फिर 2011 से 2012 के बीच उत्तराखंड के मुख्यमंत्री रहे. वह सांसद और केंद्रीय मंत्री भी रहे. 2012 के चुनाव में ‘खंडूरी है ज़रूरी’ के नारे के बावजूद वह कोटद्वार सीट से सुरेंद्र सिंह नेगी के खिलाफ हार गए थे. यहां से उनका राजनीतिक सफर लगभग समाप्त हुआ.

उनकी विरासत संभालते हुए ऋतु ने राजनीति में कदम रखा और 2017 में पहली बार चुनाव लड़ा. यमकेश्वर से जीत हासिल करने के बाद वह 2022 में कोटद्वार सीट से नेगी के ही खिलाफ चुनाव मैदान में उतरीं और उन्होंने अपने पिता की हार का बदला ले लिया. ऋतु के भाई मनीष खंडूरी कांग्रेस में हैं. गढ़वाल सीट से लोकसभा का चुनाव लड़ चुके मनीष जीत नहीं पाए थे.

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