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Big breaking: केदारनाथ में आशा ने पूरी की भाजपा की आस,धामी ने कायम रखा शीर्ष नेतृत्व का विश्वास: देखें पूरी खबर

 

 

Kedarnath Byelection: भाजपा की उम्मीदों पर आशा

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भाजपा ने केदारनाथ विधानसभा उपचुनाव में की जीत दर्ज

भाजपा 5623 वोटो से जीती भाजपा

कांग्रेस को केदारनाथ विधानसभा उपचुनाव में 18191 वोट मिले

भाजपा से दो बार की विधायक रही आशा नौटियाल 5623 वोटो से जीत की दर्ज

कांग्रेस से मनोज रावत को 18191 वोट मिले

वहीं निर्दलीय तौर पर त्रिभुवन चौहान को 9303 वोट मिल

 

  • केदारनाथ विधानसभा उप चुनाव में सीएम धामी ने की थी ताबड़तोड़ जनसभा
    सीएम धामी ने केदारनाथ विधानसभा के लिए की थी 600 करोड़ रुपए की विकास योजनाओं की घोषणा
    भाजपा के पांच पांच कैबिनेट मंत्री 40 स्टार प्रचारक भाजपा के जिलाध्यक्ष महावीर सिंह पंवार की सुझबुझ वाली रणनीति आई काम
    कुलदीप सिंह रावत, ऐश्वर्या ने भी कदम से कदम से कदम मिलाकर दिया आशा नौटियाल का साथ
    त्रिभुवन चौहान ने सबको चौंकाया, कांग्रेस ने भी किया शानदार प्रदर्शन
  • भाजपा के भारी विरोध के बाद आशा नौटियाल के लोकप्रिय व्यवहार व्यक्तिगत छवि भी बनी भाजपा की जीत की वजह 
  • बॉबी पंवार के केदारनाथ विधानसभा जाने से बढ़ा त्रिभुवन चौहान का वोट का आंकड़ा युवाओं ने त्रिभुवन को किया वोट 
  • भाजपा प्रदेश अध्यक्ष महेन्द्र भट्ट का शीर्ष नेतृत्व के सामने बडा़ कद 

 

नौटियाल खरी उतरीं। प्रतिष्ठा का सवाल बन चुकी केदारनाथ विधानसभा की सीट पर भाजपा ने कब्जा बरकरार रखा। भाजपा ने इस सीट पर पांच हजार वोटों से जीत दर्ज की है। 12वें राउंड की काउंटिंग के बाद आशा नौटियाल को निर्णायक बढ़त मिल चुकी है। इस उपचुनाव में निर्दलीय प्रत्याशी त्रिभुवन चौहान ने सबको चौंका दिया। वह तीसरे स्थान पर रहे। वहीं, कांग्रेस के मनोज सिंह रावत उम्मीद के मुताबिक प्रदर्शन नहीं कर सके।

यह सीट पार्टी की विधायक शैला रानी रावत के निधन से खाली हुई थी। इसके बाद से कई लोग इस सीट पर अपनी दावेदारी जता रहे थे। स्व. शैला रानी की बेटी ऐश्वर्या भी इस सीट के लिए जोर आजमाइश कर रही थी लेकिन परिवार के सदस्य को सीट देने के बजाय भाजपा ने महिला मोर्चा की प्रदेश अध्यक्ष और पूर्व विधायक आशा नौटियाल को तरजीह दी। भाजपा का यह दांव काम कर गया।

केदारनाथ सीट के धार्मिक महत्व को देखते हुए यह सीट भाजपा के लिए बहुत महत्वपूर्ण हो गई थी। बीते लोकसभा चुनाव में अयोध्या में हुई हार की टीस अब तक भाजपा को खलती है। विपक्ष अब तक इसे मुद्दा बनाए हुए है। साथ ही बद्रीनाथ उपचुनाव भी भाजपा नहीं जीत पाई। यही व कि वह केदारनाथ विधानसभा उपचुनाव को गंभीरता से ले रही थी।

सीएम धामी ने संभाली थी कमान

पार्टी की गंभीरता का अंदाजा इससे ही लगाया जा सकता है कि सीएम पुष्कर सिंह धामी खुद इस कमान संभाले थे। सीट रिक्त होने के बाद ही वह लगातार केदारनाथ के लोगों से संवाद बनाए रखे। यहां तक कहा था कि जब तक नया विधायक नहीं चुना जाता है वह ही यहां के विधायक हैं। साथ ही ताबड़तोड़ योजनाओं को मंजूरी दीं। वर्षों पुरानी लंबित मांगों को पूरा किया गया। राजनीतिक विशेषज्ञ मानते हैं कि इससे भाजपा को काफी फायदा मिला है।

टिकट पर हुई थी माथापच्ची

भाजपा की ओर से इस सीट पर कुलदीप रावत, कर्नल अजय कोठियाल (रिटा.) दावेदार थे। साथ ही दिवंगत विधायक की पुत्री ऐश्वर्या रावत और धर्मपुत्र जयदीप बर्वाल ने भी मुखर दावेदारी की थी। सियासी हलको में चर्चा थी कि अगर ये सब बगावती तेवर अख्तियार करते हैं भाजपा के सामने मुश्किलें खड़ी हो सकती हैं। लेकिन, पार्टी ने इन सबको मनाने में सफल रही। यही कारण है कि भाजपा यहां से जीत दर्ज की।

साभार: तीरंदाज न्यूज़ पोर्टल