विश्लेषण-2022 विधानसभा चुनाव, सियासत और पौड़ी सीट के समीकरण, ने बढाई ,दावेदारों की धड़कन

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विधानसभा चुनाव के लिए विभिन्न सीटों पर अपनी दावेदारी को मजबूत पाते हुए तेज धड़कते दिल के साथ पार्टी टिकट पर अपनी मुहर का बेताबी से इंतजार करते दावेदार नेता इन दिनों खासे परेशान हैं। आरक्षित पौड़ी विधानसभा सीट पर भाजपा से टिकट के दर्जनभर दावेदारों की उत्सुकता जहां पार्टी के निर्णय पर टिकी है वहीं एकबार फिर टिकट की हसरत पाले मौजूदा विधायक मुकेश कोली खासे परेशान हैं। पौड़ी गढ़वाल से हमारे संवाददाता कुलदीप बिष्ट. की रिपोर्ट—

2017 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस प्रत्याशी को 7030 वोटों से हराकर पौड़ी विधानसभा से विधायक बने भाजपा के मुकेश कोली की राह इस बार खासी मुश्किल दिखाई दे रही है। सूत्र बताते हैं कि पार्टी के सर्वे में भी उनकी स्थिति अपेक्षाकृत कमजोर हुई है। ऐसे में पार्टी के अन्य दावेदार नेता अपने पत्ते फेंटने की जोरशोर से कोशिशों में हैं। आरक्षित सीट होने के बाद हमेशा प्रमुख दावेदार रहने के बावजूद टिकट पाने से वंचित और पार्टी का साथ नहीं छोड़ने वाले राजकुमार पोरी को जहां इस बार उम्मीद है वहीं 2012 के विधानसभा चुनाव में 2906 वोटों से हारे भाजपा प्रत्याशी घनानन्द इस बार भी दावेदार हैं।


बिना चर्चा अचानक वरिष्ठ नेताओं को किनारे कर टिकट पाने के बाद 19439 वोट पाने वाले कोली की जीत के पीछे तब काफी हद तक मोदी फैक्टर भी जिम्मेदार था। विधायक बनने के बाद कोली पर क्षेत्र में विकासकार्य नहीं कराने और क्षेत्र में कम मौजूदगी के कारण चुनावी सीजन में कई जगह विरोध का सामना भी करना पड़ा। खुद पार्टी कार्यकर्ता भी उनसे नाराज रहे। हालांकि विधायकजी का कहना है कि 5 की जगह 10 या 15 सालों के कार्यकाल के बाद विधायक की समीक्षा होनी चाहिए। हालांकि उन्हें फिर से पार्टी टिकट मिलने के सवाल को वो सवाल ही नहीं मानते।


अब विधायकजी को भले 5 साल का संवैधानिक कार्यकाल भी कम लगता हो लेकिन 5 साल का यही कार्यकाल किसीभी जनप्रतिनिधि के फिर टिकट पाने और जीतने का भी आधार होता है। पिछले विधानसभा चुनाव में वरिष्ठ और मजबूत दावेदार नेताओं को किनारे कर अचानक टिकट पाने और फिर मोदी लहर में विधायक बन जाने वाले मुकेश कोली के लिए इस बार पार्टी के अंदरूनी विरोध के कारण पार्टी टिकट मिलना मुश्किल माना जा रहा है। ऐसे में पार्टी कार्यकर्ताओं के साथ दावेदारों को भी पार्टी आलाकमान के निर्णय का इंतजार है।

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